अब मैं पल नहीं जीता हूँ बस उनहें कैमरे में कैद कर लेता हूँ इस उममीद मैं की कभी भविषय में उन पलों को निकालकर जी लूँगा ऐसा अताह पलों का सागर इकठठा कर लिया है मैंने आज उस मोड़ पर खड़ा हूँ मैं जहाँ अनजियी जिंदिगी बड़ी है जिंदगी से एक समय था बस कुछ समय पहले जहाँ में पल जी लेता था खुश होता तो हँस लेता था गम होता तो रो लेता था आज तो मैंने बस जिंदगी इकटठी करी है
Published on April 01, 2018 10:50