रंग का मोल (कहानी) #ज़हन


आज भारत और नेपाल में हो रहीं 2 शादियों में एक अनोखा बंधन था। 
दिवयांशी अपने सांवले रंग को लेकर चिंतित रहती थी। सारे जतन करने बाद भी उसका रंग उसकी संतुषटि लायक नहीं हुआ। दिवयांशी का मीनिया इस हद तक पहुँच गया था कि वह अवसाद में चली गई। कुछ समय पहले एजेंट को अपनी बलड गरुप, मेडिकल जानकारी देते समय दिवयांशी के परिवार को ज़यादा उममीद तो नहीं थी पर बचची की ज़िद और दिल की तसलली के लिए सेठ विभूतिचंद ने यह कदम उठाया।  
फिर तुरंत ही पता चला कि दिवयांशी के बलड गरुप से मिलती एक गोरी नेपाली लड़की राज़ी...
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Published on March 15, 2017 12:15
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